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041 | _aHindi | ||
082 | _a891.438 A59 | ||
100 |
_aGaur, Anup _eAuthor _94558 |
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245 | _aBachchon ke liye yoga (बच्चों के लिए योग) | ||
260 |
_bGyan Ganga, _aNew Delhi: _c2022. |
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300 | _a136p.:ill.;22cms. | ||
500 | _aजैसे-जैसे भौतिकवाद की चकाचौंध में मानव मशीन बनता जा रहा है और अस्वस्थ एवं तनावमय जीवन जीने के लिए मजबूर हो रहा है वैसे-वैसे शांतिपूर्ण, स्वस्थ और तनावरहित जीवन जीने के लिए पूरा विश्व तेजी से योग की ओर आकृष्ट हो रहा है । व्यावहारिक जीवन में पति-पत्नी, पिता- पुत्र, भाई-बहन इत्यादि बाह्य संबंध व साधन हैं । इनके विपरीत शरीर, मन, बुद्धि, अहंकार आदि अंतरंग साधन हैं । बाहरी साधनों की अपेक्षा आंतरिक साधन जीवन के अधिक निकट हैं । इन दोनों साधनों के संघर्ष में सदैव आंतरिक साधनों की विजय होती है । इन आंतरिक साधनों को वृत्तियों (विषयों) से दूर करने को ही ' योग ' कहा जाता है । शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य के लिए शिक्षार्थियों का योग मार्ग में उतरना अनिवार्य समझते हुए प्रस्तुत पुस्तक का लेखन किया गया है । इस पुस्तक को विशेष रूप से बच्चों के लिए तैयार किया गया है । योग क्या है, योग का मन व शरीर पर प्रभाव तथा योगासनों का परिचय, समयावधि एवं लाभादि को बहुत सरल व सुगमतापूर्वक बताया-समझाया गया है । पुस्तक की एक प्रमुख विशेषता है इसमें दिए गए चित्र । लेखक जो भी बताना चाहता है, वह सब चित्रों के माध्यम से साकार हो उठता है । हमें पूर्ण विश्वास है, यह पुस्तक पाठकों को नीरोग व प्रसन्न रखने में महत्त्वपूर्ण योगदान देगी । | ||
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_aYoga parichay _xYoga ka udgam _94559 |
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_aYoga ke prakar _xRaj yoga, bakthi yoga and kriya yoga _94560 |
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