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Nirala ke geet: parampara evam prayog ( निराला के गीत : परंपरा एवं प्रयोग )

By: Begum, Nazish [Author]Language: Hindi Publication details: New Delhi: Manakin Press, 2023. Description: xiv, 356p.; 21cmsISBN: 9789384370589Subject(s): Nirala ke geet | Parampara evam prayogDDC classification: 891.43 B44
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Hindi Books Dr. S. R. Ranganathan Library
Fiction
Fiction 891.43 B44 (Browse shelf(Opens below)) Available 3294

“निराला के गीत” डॉ. नाजिश बेगम की मह्त्बपूर्ण रचना को पढ़कर अच्छा लगा, क्योंकि यह महाकवि निराला के गीतों के उद्घाटित और अनुद्घतित दोनों पक्षों को एक नए ढंग से सामने रखती हैं| इस रचना का विश्षिटया यह है की यह भाव, शिल्प, भाषा और कविता की बंदिस पर एक–साथ बात करती हैं! लेखिका ने अपनी प्रस्तुति में गीत, प्रगीत, संगीत और काव्य का परिचय कराते हुए निराला के काव्य—समुंद्र से महत्पूर्ण गीत—रत्नों को निकाल कर उन्हें बारीकी से देखने का यत्न किया है। उनकी मान्यता है की निराला एक ऐसे कवि हैं जो परम्परा एवं आधुनिकता के साथ जुड़े रहकर कुछ नया रचने के लिए पूर्व चली आ रही परम्परा को केवल तोड़ते ही नहीं हैं। बल्कि उससे आगे जाकर एक नई परम्परा को रचते भी हैं। अधिकांश आलोचना की किताबें रचनाकार के भाव और शिल्प दोनों पर समुचित समानुपातिकता नहीं बरत पातीं, कोई भाव पर अधिक बात करती दिखती है, तो कोई शिल्प या भाषा पर, लेकिन इस ग्रंथ का सौन्दर्य यह है कि इसने बड़े समानुपातिक रूप एवं सबल ढंग से रचनाकार निराला के विचार पक्ष को और उनके गीतों की बनावट एवं बुनावट को सम्यक रूप में सामने रखा है, इसलिए मेरी दृष्टि में इस ग्रंथ की लेखिका “डॉ. नाजिश बेगम” बधाई की पात्र हैं। मैं यह भी अपेक्षा करता हूँ कि वे भविष्य में ऐसे ही हिंदी और हिंदुस्तानी के विविध पक्षों पर हिंदी साहित्य का समुचित आलोचना करते हुए आलोचना की नयी नयी रचनाएँ देकर विचार के नये नये द्धार खोलती रहेंगी।


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