Ambedkar Gandhi aur dalit patrakarita ( आंबेडकर गांधी और दलित पत्रकारिता ) (Record no. 1291)

MARC details
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020 ## - INTERNATIONAL STANDARD BOOK NUMBER
ISBN 9788179753170
041 ## - LANGUAGE CODE
Language code of text/sound track or separate title Hindi
082 ## - DEWEY DECIMAL CLASSIFICATION NUMBER
Classification number 891.430 B43
100 ## - MAIN ENTRY--AUTHOR NAME
Personal name Syorajsingh, Bachan
Relator term Author
245 ## - TITLE STATEMENT
Title Ambedkar Gandhi aur dalit patrakarita ( आंबेडकर गांधी और दलित पत्रकारिता )
260 ## - PUBLICATION, DISTRIBUTION, ETC. (IMPRINT)
Name of publisher Anamika Publishers and Distributors Private Limited,
Place of publication New Delhi:
Year of publication 2010.
300 ## - PHYSICAL DESCRIPTION
Number of Pages 375p.;23cms.[HBK.]
500 ## - GENERAL NOTE
General note भारतीय सामाजिक चिंतन–/ाारा की जो अखिल भारतीय अभिव्यक्ति विभिन्न रूपों में हो रही है उसमें दो आधारभूत नायकों की रचनात्मक प्रेरणाएं विशेष क्रियाशील हैं । ये विवादित भी हैं और रचनात्मक भी, संयुक्त भी हैं और पृथक–स्वायत्त भी हैं । अच्छी बात यह है कि इनमें परस्पर असहमतियां–सहमतियां विरो/ा और समर्थन की द्वंद्वात्मकता में सामाजिक लोकतंत्र के तत्व मौजूद हैं । प्रस्तुत ग्रंथ में गां/ाीजी के हरिजन पत्र और डॉ– अम्बेडकर के जनता अखबार का तुलनात्मक अध्ययन हिंदी पत्रकारिता के क्षेत्र में अभूतपूर्व है । विमर्श इन दो पत्रों या दो राष्ट्रीय नेताओं के व्यक्तित्व व कृतित्व तक सीमित नहीं है । अपितु गां/ाीजी और डॉ– अम्बेडकर के विचारों और उनके प्रभावों तथा देश, काल और परिस्थितियों की दृष्टि से स्वतंत्रता–आंदोलन का कालखंड और सामाजिक स्वातंत्र्य की छटपटाहट को इस ग्रंथ में द्विपक्षीय ढंग से जाना जा सकता है । संक्षेप में कहें तो स्वतंत्रता के बाद की हिंदी पत्रकारिता में दलित पत्रकारिता का अनन्य अध्ययन–सार यहां उपलब्/ा है । पूरी सामग्री शोधपूर्ण ढंग से तैयार की गई है । पिं्रट मीडिया के सामान्य जानकारों के साथ ही, लेखन, संपादन और सामाजिक सरोकारों के प्रमुख बुद्धिजीवियों और देश के योजनाकारों के लिए भी इस तरह का ज्ञान अत्यंत सहायक है । यदि डॉ– भीमराव अम्बेडकर और महात्मा गांधी के पत्रों को राष्ट्रीय आंदोलन के आसमान में सूरज और चांद कहें तो उनसे प्रेरित बाकी विचार और पत्र–पत्रिकाएं सितारों की तरह हैं । जरूरत आंखें खोलकर देखने भर की है । देश–विदेश में शो/ा–अ/ययन के जो इंटरडिसिप्लिनरी अध्ययन तीव्र गति से आरंभ हुए हैं, उनमें इस ग्रंथ की भूमिका अहम और विनम्र होगी ।
650 ## - SUBJECT ADDED ENTRY--TOPICAL TERM
Topical Term सामाजिक स्वातंत्र्य की छटपटाहट
650 ## - SUBJECT ADDED ENTRY--TOPICAL TERM
Topical Term अखिल भारतीय अभिव्यक्ति
650 ## - SUBJECT ADDED ENTRY--TOPICAL TERM
Topical Term भारतीय सामाजिक चिंतन
942 ## - ADDED ENTRY ELEMENTS (KOHA)
Koha item type Hindi Books
Holdings
Withdrawn status Lost status Damaged status Not for loan Permanent Location Current Location Shelving location Full call number Accession Number Koha item type
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