Atharahavin sadi ke jamindar ( अठारहवीं सदी के जमींदार )

Rizvi, Syed Najmul Raza

Atharahavin sadi ke jamindar ( अठारहवीं सदी के जमींदार ) - New Dellhi: Aanamika Publishers and Distributors Private Limited, 2023. - 277p.;23cms.[HBK.]

18वीं शताब्दी भारत के उत्तर–सामंतीय काल का अंग है । यह काल कई दृष्टियों से महत्वपूर्ण रहा है । यह एक संक्रमण काल था जब सामंतवाद अपने पतन की ओर अग्रसर हो रहा था और उभरते पूंजीवाद की शक्तियां सिर उठा रही थीं । ऐसी स्थिति में इतिहास को समाज के विकास की एक प्रक्रिया के रूप में देखने वालों के लिए, भारतीय सामन्तवाद के महत्वपूर्ण घटक, जमींदारों, का अध्ययन करना न केवल स्वाभाविक, अपितु अनिवार्य हो जाता है । मुगल साम्राज्य के राजनीतिक पराभव के इस काल में जमींदार वर्ग दोहरे अन्तविरोध से ग्रस्त था ।

9789395404518


Hindi literature
समाज के विकास
सामंतीय काल का अंग

891.430 R59

Implemented and Maintained by Dr. S.R. Ranganathan Library.
For any Suggestions/Query Contact to library or Email: library@iipe.ac.in
Website/OPAC best viewed in Mozilla Browser in 1366X768 Resolution.

Powered by Koha